देश में राजनीतिक हित साधने के लिए नफ़रत की आंधी चलाकर हिन्दू और मुसलमान के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन देश का सामाजिक ताना-बाना इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। सदियों से एक-दूसरे के साथ रहने वाले हिन्दू और मुसलमान आज भी ज़रूरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद के लिए तैयार रहते हैं। जैसा कि मध्य प्रदेश की राजधानी, भोपाल के मुहम्मद महबूब ने अपनी जान को ख़तरे में डालकर एक हिन्दू लड़की की जान बचाई। 37 वर्ष के मुहम्मद महबूब पेशे से कारपेंटर हैं और एक दुकान पर काम करते हैं।

गत 5 फ़रवरी को जब वे रेलवे ट्रैक के पास मौजूद थे और वहां रेलवे ट्रैक पर एक लम्बी सी मालगाड़ी खड़ी थी, पैदल यात्री उसके नीचे से निकल कर दूसरी ओर जा रहे थे। अक्सर ऐसा होता है कि मालगाड़ी किसी स्टेशन पर लम्बे समय के लिए खड़ी कर दी जाती है, जिससे रास्ता बन्द हो जाता है और कुछ लोग उसके नीचे से होकर आने जाने लगते हैं। इसी बीच स्नेहा नाम की एक लड़की जब जब मालगाड़ी के नीचे से निकल कर दूसरी ओर जाने लगी तभी वह ट्रेन चल पड़ी। लड़की ने मदद के लिए गुहार लगाई तो जैसा कि आजकल ऐसे मौके पर होता है कि लोग पीड़ित की मदद करने के बजाय मोबाइल कैमरे से फोटो और वीडियो बनाने में लग जाते हैं। वहां क़रीब खड़े 30-40 लोगों ने भी यही किया। कुछ दूरी पर खड़े महबूब ने जब यह देख तो एक क्षण भी बर्बाद किये बिना वे चलती ट्रेन के नीचे रेंग गए और उन्होंने पटरियों के बीच में लेट कर लड़की को दबा कर रखा। उनके ऊपर से मालगाड़ी के कई डिब्बे गुज़र गए। ट्रेन के जाने के बाद महबूब और लड़की दोनों सही सलामत निकल आए।

अल्लाह ने क़ुरआन में तालीम दी है: ‘‘…जिसने किसी एक इन्सान की जान बचाई उसने मानो सारे इन्सानों को जीनवदान दिया।’’ (क़ुरआन, 5:32) महबूब ने बताया कि यह काम बस अल्लाह ने करवा दिया। मैंने महसूस किया कि उसकी मदद करनी चाहिए और वही मैंने किया।

इस महान काम के लिए मुहम्मद महबूब की ख़ूब सराहना की गई। उनका कई जगहों पर सम्मान किया गया और बहुत से लोगों ने उनके घर पहुंच कर उन्हें बधाई दी।

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