अनुच्छेद 370 हटने के बाद से बेदखली अभियानों के ज़रिये गुर्जरों और बकरवालों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है।

जम्मू-कश्मीर का प्रशासन इस कड़ाके की ठंड में बेदखली अभियान चला रहा है। इस अभियान के निशाने पर हैं मुस्लिम जनजाति के लोग। सवाल यह है कि प्रशासन ने मानवता को ताक पर रख दिया है या उसने फासिज़्म का चश्मा पहन लिया है ? प्रशासन अतिक्रमण हटाओ मुहिम के तहत मुस्लिम जनजाति के लोगों के आशियाने उजाड़ रहा है। इससे अनेक लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। प्रभावितों में महिलाएं और नवजात बच्चे भी शामिल हैं।

गत 11 जनवरी को जम्मू विकास प्राधिकरण द्वारा दशकों से इलाके में रह रहे गुर्जर-बकरवाल जनजाति के कई सदस्यों के घर तोड़ दिए गये। प्रशासन का दावा है कि वे घर अवैध अतिक्रमण के खि़लाफ़ मुहिम के तहत तोड़े गये हैं। उसकी इस कार्रवाई के खिलाफ राजधानी जम्मू और कश्मीर में विरोध देखा गया।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए कार्रवाई की  वीडियो में गुर्जर-बकरवाल महिलाओं को अधिकारियों के सामने रोते हुए देखा गया, लेकिन अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी। स्थानीय लोगों के मुताबिक, अनुसूचित जनजाति के कई सदस्य इलाके में दशकों से रह रहे हैं। जम्मू कश्मीर गुर्जर-बकरवाल युवा कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता और राजनीतिक कार्यकर्ता गुफ़्तार चौधरी के अनुसार अनुच्छेद 370 हटने के बाद से इस तरह के बेदखली अभियानों के ज़रिये गुर्जरों और बकरवालों को लगातार जम्मू कश्मीर में प्रताड़ित किया जा रहा है। उनका कहना है कि भाजपा नेता निर्मल सिंह ने भी जमीन कब्जा रखी है लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं होती है। लोगों का कहना है कि अधिकारी अतिक्रमण हटाने के नाम पर कुछ चुनिन्दा लोगों के खिलाफ ही कार्रवाई कर रहे हैं।

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